Dr Amit Kumar Sharma

लेखक -डा० अमित कुमार शर्मा
समाजशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली - 110067

जनजातीय विवाह के प्रकार

जनजातीय विवाह के प्रकार

 

1. एक विवाह - यह विवाह का आदर्श रूप है। एक स्त्री के साथ एक पुरूष के विवाह को एक विवाह या मोनोगैमी कहते हैं। पति पत्नी के जीवित रहते हुए कोई भी दूसरा विवाह नहीं कर सकता। भारत की कई जनजातियों में इस विवाह का प्रचलन हैं। खासकर पूर्वोत्तर भारत की मातृवंशीय जनजातियाँ जैसे खासी, सिनटैंग तथा गारो में यह विवाह का पसंदीदा रूप है।


2  बहु विवाह - यह विवाह का वह रूप है जिसमें एक पुरुष दो या दो से अधिक स्त्रियों से विवाह या एक स्त्री दो या दो से अधिक पुरुषों से विवाह करती है। बहुविवाह के इस तरह दो रूप जाये जाते है:-


3. बहुपत्नी विवाह - इसके अंतर्गत एक पुरुष एक से अधिक स्त्री के साथ विवाह कर सकता है। यह नागा, बैगा, गोंड  तथा टोड़ा जनजाति में पाया जाता है।


4. बहुपति विवाह - एक स्त्री एक से अधिक पुरुषों से विवाह कर सकती है। इसके भी दो रूप पाये जाते हैं : -


(क)  सगे भाइयों से बहुपति विवाह - यह विवाह का वह रूप है जिसमें एक स्त्री एक ही परिवार के सभी भाइयों से एक साथ विवाह करती है। यह दक्षिण भारत की टोड़ा एंव उत्तार भारत की जौनसार बाबर की खासा जनजाति में विशेष रूप से पाया जाता है। इस विवाह से उत्पन्न बच्चों के पिता के बारे में निर्णय एक सामाजिक उत्सव के द्वारा किया जाता है।


(ख) असंबध्द पुरुषों से बहुपति विवाह - इस विवाह के अंतर्गत एक स्त्री भिन्न-भिन्न परिवार के पुरुषों से (जो असंबध्द होते हैं) एक ही साथ विवाह  करती है। विवाह का यह रूप मूलत: टोड़ा जनजाति में ही पाया जाता है। विवाह के अंर्तगत जब कोई बच्चा पैदा होता है तो उसके पिता का निर्णय एक विशेष कर्मकाण्ड के अनुसार होता है।

 

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