सरस्वती आराधना का ज्योतिषीय आधार
सरस्वती आराधना का ज्योतिषीय आधार
हर छात्र की कामना होती है कि वह परीक्षा में न केवल उत्तीर्ण हो बल्कि उसे उच्च अंकों से सफलता मिले। इसका प्रयास तो सभी करते हैं पर कुछ असफल भी रह जाते हैं। कई छात्रों की समस्या होती है कि कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें पाठ याद नहीं रह पाता, वे जबाव भूल जाते हैं। ज्योतिष के मुताबिक असफल होने वाले छात्रों की जन्मकुंडली में चंद्रमा और बुध निर्बल होता है और पिछले जन्मों की त्रुटियों के कारण ज्ञान व विद्या की देवी सरस्वती की अनुकंपा भी उन पर नहीं होती।
दरअसल, मन-मस्तिष्क का कारक चंद्रमा है और जब यह दुर्बल हो या पथभृष्ट चंचलता लिए हो तो मन-मस्तिष्क में स्थिरता या संतुलन ठीक नहीं रहता। इसी तरह बुध की प्रतिकूलता की वजह से तर्क व कुशाग्रता में कमी आती है। इन विनाशकारी शक्तियों को काबू में करने और उन्हें संरचनात्मक कार्यों की लगाने में देवी सरस्वती ही मदद करती हैं।
इन दिनों परीक्षाएं चल रही हैं, अत: छात्रों को अच्छी सफलता के लिए देवी सरस्वती की आराधना करनी चाहिए। यूं यह बात गांठ बांध लें कि भगवान भी उन्हीं बच्चों की मदद करते हैं, जो बच्चे मेहनत करते हैं। सरस्वती आराधना भी बहुत आसान है, इसे किसी भी गुरुवार से प्रारंभ व पूर्ण कर सकते हैं। समय मिल सके तो शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह करना लाभकारी होगा और चैत्र माह की शुक्ल पंचमी में तो यह साधना अत्यंत फलदायी होती है।
वैसे तो छात्र को यह साधना स्वयं ही करनी चाहिए, अगर बच्चे के पास वक्त न हो तो मां को यह साधना करनी चाहिए। साधना करने के लिए सामग्री के रूप में, महासरस्वती का यंत्र या देवी सरस्वती का चित्र, आठ छोटे नारियल, सफेद चंदन, अक्षत, श्वेत पुष्प, सुगंधित धूप व अगरबत्ती व घी का दीपक। संभव हो तो आराधना के समय पीले वस्त्र ही पहनें।
निश्चित दिन सुबह स्नान इत्यादि करने के बाद पूजा प्रारंभ करें। तांबे (या स्टील) की थाली में कुमकुम से गणेशजी का आवाहन करके स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। इस चिह्न के ऊपर, मां सरस्वती का यंत्र या चित्र स्थापित करें। सामने आठों नारियल रखें। अब चित्र या यंत्र के ऊपर चंदन, पुष्प व अक्षत भेंट करें। धूप-दीप जलाकर देवी का आवाहन करें और अपनी मनोकामना का मन में स्मरण करके स्फटिक या तुलसी की माला पर सरस्वती मंत्र की शांत मन से पांच बार माला फेरें। मंत्र है-ॐ ऎं सरस्वत्यै नम: ॥
अंत में क्षमा याचना के साथ सभी सामग्री ज्यों की त्यों वहीं रहने दें। दिन में अपनी पढ़ाई करें, सायंकाल सूर्यास्त से पूर्व सभी सामग्री नदी, तालाब या किसी जलाशय में विसर्जित कर दें। मां सरस्वती अष्ट शक्तियों के साथ आपकी सहायता करेंगी।
वैसे विद्या प्राप्ति व परीक्षा में सफलता के कुछ अचूक मंत्र और भी हैं। जैसे, नहा धोकर, शुध्द आसान पर बैठकर भगवान राम का चित्र स्थापित करें। उन्हें चंदन लगाकर निम् मंत्र का 108 बार जाप करें।
जेहि पर कृपा करहिं जन जानि।
कवि उर अजिर नचावहिं वानी॥
मोरि सुधारहिं सो सब भांति।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाति॥
या फिर इस मंत्र का जप करें-
गुरु गृह पढ़न गए रघुराई।
अलप काल विद्या सब पाई
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217