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कबीरदास साहित्य Kabir Das sahitya

कबीरदास साहित्य Kabir Das sahitya

चितावणी का अंग

कहा कियौ हम आइ करि, कहा कहैंगे जाइ |
इत के भये न उत के, चाले मूल गंवाइ ||6||
भावार्थ - हमने यहाँ आकर क्या किया ? और साईं के दरबार में जाकर क्या कहेंगे ?
न तो यहाँ के हुए और न वहाँ के ही - दोनों ही ठौर बिगाड़ बैठे |
मूल भी गवाँकर इस बाजार से अब हम बिदा ले रहे हैं |

`कबीर' केवल राम की, तू जिनि छाँड़े ओट |
घण-अहरनि बिचि लौह ज्यूं, घणी सहै सिर चोट ||7||
भावार्थ - कबीर कहते हैं, चेतावनी देते हुए --
राम की ओट को तू मत छोड़, केवल यही तो एक ओट है |
इसे छोड़ दिया तो तेरी वही गति होगी, जो लोहे की होती है ,
हथौड़े और निहाई के बीच आकर तेरे सिर पर चोट-पर-चोट पड़ेगी |
उन चोटों से यह ओट ही तुझे बचा सकती है |

उजला कपड़ा पहरि करि, पान सुपारी खाहिं |
एकै हरि के नाव बिन, बाँधे जमपुरि जाहिं ||8||
भावार्थ - बढ़िया उजले कपड़े उन्होंने पहन रखे हैं, और पान-सुपारी खाकर मुँह लाल कर
लिया है अपना | पर यह साज-सिंगार अन्त में बचा नहीं सकेगा, जबकि यमदूत
बाँधकर ले जायंगे |
उस दिन केवल हरि का नाम ही यम-बंधन से छुड़ा सकेगा |

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217