जिस मरनैं थैं जग डरै, सो मेरे आनन्द |
कब मरिहूं, कब देखिहूं पूरन परमानंद ||6||
भावार्थ - जिस मरण से दुनिया डरती है, उससे मुझे तो आनन्द होता है ,
कब मरूँगा और कब देखूँगा मैं अपने पूर्ण सच्चिदानन्द को !
कायर बहुत पमांवहीं, बहकि न बोलै सूर |
काम पड्यां हीं जाणिये, किस मुख परि है नूर ||7||
भावार्थ - बड़ी-बड़ी डींगे कायर ही हाँका करते हैं, शूरवीर कभी बहकते नहीं |
यह तो काम आने पर ही जाना जा सकता है कि शूरवीरता का नूर किस चेहरे
पर प्रकट होता है |
`कबीर' यह घर पेम का, खाला का घर नाहिं |
सीस उतारे हाथि धरि, सो पैसे घर माहिं ||8||
भावार्थ - कबीर कहते हैं - यह प्रेम का घर है, किसी खाला का नहीं ,
वही इसके अन्दर पैर रख सकता है, जो अपना सिर उतारकर हाथ पर रखले |
[ सीस अर्थात अहंकार | पाठान्तर है `भुइं धरै' | यह पाठ कुछ अधिक सार्थक
जचता है | सिर को उतारकर जमीन पर रख देना, यह हाथ पर रख देने से कहीं अधिक
शूर-वीरता और निरहंकारिता को व्यक्त करता है |]
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217