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चाहता हूँ डूबना
सौरभ कुमार
(Copyright © Saurabh Kumar)
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चाहता हूँ डूबना
चाहता हूँ डूबना
तेरे आगोश में
परंतु इस स्थिति
की भारहीनता,
अस्तित्व हीनता
मुझे करती है
व्यग्र, चाहता
हूँ तुझमें भी
भार ताकि अपने
को तुझपे करूँ
अवलंबित प्रभु।
परंतु मेरी भार
हीनता तेरी भार
हीनता देती है
और मेरा भार
तुझसे वियोग
या कानूनी ‘तलाक’।
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