सौरभ कुमार
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Saurabh Kumar
Prose / गद्य
Poetry / पद्य
प्रियवदंबा (गांगेय: अम्बा से प्रियवदंबा तक)
ओ वीणा वादिनी, आनंदप्रदायिनी
ललिता
जयति-जयति जय जय जगदंबे
अंतिम मंजिल
ज्योतिमा
नताशा
हे प्रभु ! यह तेरी कैसी लीला है
शैव्या
मदर मदर मदर
गृहप्रवेश
तेरा नर्त्तन
काव्या
चाहता हूँ डूबना
प्रियांशा
तेरा आधार
निगोशियेशन (तलाश रिश्ते की)
जब तक तुझे याद न करूँ
सुबह
प्रार्थना
खिचड़ी व्रत उपाय कथा
संतोष
नव्या दुल्हन
मधुमति मात:
परमहंस
चेहरा उदास क्यूँ है इस शबनमी शाम में
लक्ष्मी
ऐ खुदा तू ये बता हम किस से प्यार करते हैं
तुलिका
यह पंडितों की नगरी है
बारिश का पानी
मुझको अपना हीं बना लो
बया का घोसला
कोई प्यार करे कैसे
जले लौ मन के दीये में
रचनात्मकता, मनोसमस्या और ध्यान
तुझे क्या बताऊँ ऐ दिल
शिव और काली
खुदा बुत में तेरी इबादत करता हूँ
जन्म और मृत्यु
खुदा हीं बुत बनके खड़ा है मेरे सामने
भागवत यंत्र
`बेड ऑफ डेथ’ से
शर्मिला नेचर
प्रकाश
ज्योतिष
क्रेडिट कार्ड और लोकमंगल
हस्तलेख
छठपर्व :सनातनता की प्राप्ति हेतू महामृत्युंजय व्रत
सुपर नेचुरल साइंस ई. एस. पी
मृत्यु-निद्रा-हृदयाघात
गीता० अध्याय १३, २२
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र
धर्म और अध्यात्म
सौरभ - स्वामिनी
Prose / गद्य
Poetry / पद्य
स्निग्धा
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी
छरमत डार्लिंग
कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे
पुत्र समझ नहीं पाता
वरदान