संतोष
प्रभु मैं थक गया
परंतु आपसे वह
शक्ति नहीं माँगता
जो रातों में जगाये
आखिर उसका फायदा
हीं क्या जब
आपके दर्शन की
प्राप्ति हीं न हो।
मैंने तो खुद को
आपके हवाले किया।
मेरे हीं स्वप्न
में बिहारी रहिए
मुझे दर्शन से
परितृप्त कीजिये।
भला इस प्रार्थना
के अलावे सामर्थ्य
हीं क्या मुझमें।
इसके अलावे तूमने
दिया हीं क्या प्रभु
जिससे संतोष हो।
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