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यह पंडितों की नगरी है
सौरभ कुमार
(Copyright © Saurabh Kumar)
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यह पंडितों की नगरी है
यह पंडितों की नगरी है
और हम भी यहाँ के पंडित है।
मंदिर की बंद दीवारों में,
खुद हीं खुद को सुनते हैं।
खुले दरवाजे की बहती हवा में
कुछ भी कहाँ हम सुनते है।
इल्म की ऊँची मीनारों से,
शहर की घूमती गलियों मे,
दिल की धड़कन बंद है।
पत्ते भी थमते रहते हैं।
यह पंडितों की नगरी है,
और आँख के अंधे सब है।
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