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सूरदास

श्रीकृष्णबाल-माधुरी

राग सारंग

बोलि लियौ बलरामहि जसुमति |
लाल सुनौ हरि के गुन , काल्हिहि तैं लँगरई करत अति ||
स्यामहि जान देहि मेरैं सँग, तू काहैं डर मानति |
मैं अपने ढिग तैं नहिं टारौं, जियहिं प्रतीति न आनति ||
हँसी महरि बल की बतियाँ सुनि, बलिहारी या मुख की |
जाहु लिवाइ सूर के प्रभु कौं, कहति बीर के रुख की ||

यशोदाजीने बलरामको बुला लिया (और बोलीं-) `लाल! तुम इस श्यामके गुण तो सुनो,
कलसे ही यह अत्यन्त चपलता कर रहा है |' (बलराम बोले-) `श्यामको मेरे साथ जाने
दो, तुम भय क्यों करती हो | अपने मनमें विश्वास क्यों नहीं करती - मैं अपने पाससे
इसे तनिक भी हटने नहीं दूँगा |' व्रजरानी बलरामजीकी बातें सुनकर हँस पड़ी (और
बोलीं-)`इसमुखकी बलिहारी, अच्छा इसे लिवा जाओ|' सूरदासजी कहते हैं कि इस
प्रकार (मैयाने) भाई (श्रीकृष्ण) के मनकी बात कह दी |

National Record 2012

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Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217