राग ललित
उठे नंद-लाल सुनत सुनत जननी मुख बानी |
आलस भरे नैन, सकल सोभा की खानी ||
गोपी जन बिथकित ह्वै चितवतिं सब ठाढ़ी |
नैन करि चकोर, चंद-बदन प्रीति बाढ़ी ||
माता जल झारी ले, कमल-मुख पखार्यौ |
नैन नीर परस करत आलसहि बिसार्यौ ||
सखा द्वार ठाढ़े सब, टेरत हैं बन कौं |
जमुना-तट चलौ कान्ह, चारन गोधन कौं ||
सखा सहित जेंवहु, मैं भोजन कछु कीन्हौ |
सूर स्याम हलधर सँग सखा बोलि लीन्हौ ||
भावार्थ :-- माताके मुखके शब्द सुनकर श्रीनन्दलाल उठ गये (जाग गये) समस्त
शोभा के निर्झर उनके नेत्र आलस्यपूर्ण थे | सब गोपियाँ उस (मुख) को देकती हुई मुग्ध
खड़ी रह गयीं | अपने नेत्रोंको उन्होंने चकोर बना लिया, जिनका प्रेम (मोहनके)
चन्द्रमुखसे बड़ता ही जाथा था | जलकी झारी लेकर माताने कमलमुखको धोया, नेत्रों
से जलका स्पर्श होनेसे आलस्य भूल गया (दूर हो गया ) सब सखा द्वारपर खड़े वनमें
चलनेके लिये पुकार रहे हैं - `कन्हाई ! गायें चराने यमुना-किनारे चलो|' सूरदासजी
कहते हैं--श्यामसुन्दरने बलरामजी के साथ सब सखाओंको बुला लिया (और बड़े भाईसे
बोले-) `दादा ! तुम सखाओंके साथ कलेऊ करो, मैंने कुछ भोजन कर लिया है |'
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217