हरि आवत गाइनि के पाछे |
मोर-मुकुट मकराकृति कुंडल, नैन बिसाल कमल तैं आछे ||
मुरली अधर धरन सीखत हैं, बनमाला पीतांबर काछे |
ग्वाल-बाल सब बरन-बरन के, कोटि मदन की छबि किए पाछे ||
पहुँचे आइ स्याम ब्रज पुर मैं, घरहि चले मोहन-बल आछे |
सूरदास-प्रभु दोउ जननी मिलि लेति बलाइ बोलि मुख बाछे ||
श्रीकृष्णचन्द्र गायोंके पीछे-पीछे आ रहे हैं | मयूरपिच्छका मुकुट है, मकरके आकार
वाले कुण्डल हैं, बड़े-बड़े नेत्र कमलसे भी अधिक सुन्दर हैं, अभी ओष्ठों पर वंशी
रखना सीख ही रहे हैं, वनमाला पहिने हैं तथा पीताम्बरकी कछनी बाँधे हैं | सब गोपबालक
अनेक रंगोंके हैं, वे करोड़ों कामदेवोंकी शोभा को भी पीछे किये (उससे भी अधिक
सुन्दर) हैं | श्यामसुन्दर व्रजपुरीमें आ पहुँचे , श्रीबलराम और मोहन भली प्रकार
अपने घर चले | सूरदासके स्वामीसे दोनों माताएँ (यशोदाजी और रोहिणीजी) मिलीं और
मुखसे `मेरे लाल!' कहती हुई बलैया लेने लगीं |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217