रजनी-मुख बन तैं बने आवत, भावति मंद गयंद की लटकनि |
बालक-बृंद बिनोद हँसावत करतल लकुटधेनु की हटकनि ||
बिगसित गोपी मनौ कुमुद सर, रूप-सुधा लोचन-पुट घटकनि |
पूरन कला उदित मनु उड़पति, तिहिं छन बिरह-तिमिर की झटकनि ||
लज्जित मनमथ निरखी बिमल छबि, रसिक रंग भौंहनि की मटकनि |
मोहनलाल, छबीलौ गिरिधर, सूरदास बलि नागर-नटकनि ||
संध्याके समय श्याम वनसे सजे हुए आ रहे हैं , उनका गजराजके समान झूमते हुए
मन्दगतिसे चलना चित्तको बड़ा रुचिकर लगता है | बालकोंका समूह उन्हें अपने विनोदसे
हँसाता चलता है, हाथोंमें गायोंको रोकने (हाँकने) की छड़ी है | गोपियोंका मनरूपी-
पुष्प इनके रूप-सुधाके सरोवरमें प्रफुल्लित होता है और नेत्रोंरूपी दोनोंसे वे उस
रूप-सुधाका पान करती हैं | मानों चन्द्रमा अपनी पूर्णकलाओंके साथ उदित हो गये हैं
और उसी क्षण विरहरूपी अन्धकार (वहाँसे) भाग छूटा है | कामदेव भी यह निर्मल शोभा
देखकर लज्जित हो गया है; भौंहोंका चलाना तो रसिकोंके लिये आनन्ददायक है | सूरदासजी
कहते हैं- ये मोहनलाल गिरधारी तो परम छबीले हैं, इन नटनागरके नृत्यपर मैं बलिहारी
हूँ |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217