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सूरदास

सूरसागर

परिशिष्ट (ख) अंतर्कथाएँ

अहि

सर्प, परंतु यहाँ कालियनाग के लिए प्रयुक्त |

कद्रू-पुत्र नागों का राजा, जो गरुड़ के भय से अपना निवास स्थान रमणक द्वीप छोड़कर
ब्रज के निकट यमुना के एक दह में रहता था, जहाँ सौभरि ऋषि के शाप के कारण गरुड़
की गति नहीं थी |इस काली दह(कालिय दह) का जल अत्यंत विषैला हो गया था | श्रीकृष्ण
ने उस दह में, `सूरसागर' के अनुसार गेंद खेलने के प्रसंग में, प्रविष्ट करके कालिय
को नाथ लिया | श्रीकृष्ण का प्रभुत्व जान कालिय ने उनकी स्तुति की | अंत में उसे
रमणक द्वीप में निर्भय रहने का वरदान मिल गया |

कालीदह

ब्रज के निकट यमुना का एक दह जिसमें कालिय नाग रहता था |

 

इंद्र

प्रधान वैदिक देवता जिन्हें अपदस्थ करके पुराणों ने विष्णु की महत्ता स्थापित की |
कृष्ण-लीला में इस विषय का मुख्य प्रसंग गोवर्धन लीला है | ब्रज में इंद्र की पूजा
मिटाकर गोवर्धन पूजा कराने पर कुपित होकर जब इंद्र ने घोर जलवृष्टि की, तब
श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को हाथ पर धारण करके ब्रजवासियों की रक्षा की तथा इंद्र का
गर्वप्रहार किया | इंद्र कृष्ण की शरण में आया और उसने उनसे क्षमा याचना की |

 

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217