अयोध्याकाण्ड
अयोध्याकाण्ड पेज 74
सुनि तन पुलकि नयन भरि बारी। बोले भरतु धीर धरि भारी।।
प्रभु प्रिय पूज्य पिता सम आपू। कुलगुरु सम हित माय न बापू।।
कौसिकादि मुनि सचिव समाजू। ग्यान अंबुनिधि आपुनु आजू।।
सिसु सेवक आयसु अनुगामी। जानि मोहि सिख देइअ स्वामी।।
एहिं समाज थल बूझब राउर। मौन मलिन मैं बोलब बाउर।।
छोटे बदन कहउँ बड़ि बाता। छमब तात लखि बाम बिधाता।।
आगम निगम प्रसिद्ध पुराना। सेवाधरमु कठिन जगु जाना।।
स्वामि धरम स्वारथहि बिरोधू। बैरु अंध प्रेमहि न प्रबोधू।।
दो0-राखि राम रुख धरमु ब्रतु पराधीन मोहि जानि।
सब कें संमत सर्ब हित करिअ पेमु पहिचानि।।293।।
भरत बचन सुनि देखि सुभाऊ। सहित समाज सराहत राऊ।।
सुगम अगम मृदु मंजु कठोरे। अरथु अमित अति आखर थोरे।।
ज्यौ मुख मुकुर मुकुरु निज पानी। गहि न जाइ अस अदभुत बानी।।
भूप भरत मुनि सहित समाजू। गे जहँ बिबुध कुमुद द्विजराजू।।
सुनि सुधि सोच बिकल सब लोगा। मनहुँ मीनगन नव जल जोगा।।
देवँ प्रथम कुलगुर गति देखी। निरखि बिदेह सनेह बिसेषी।।
राम भगतिमय भरतु निहारे। सुर स्वारथी हहरि हियँ हारे।।
सब कोउ राम पेममय पेखा। भउ अलेख सोच बस लेखा।।
दो0-रामु सनेह सकोच बस कह ससोच सुरराज।
रचहु प्रपंचहि पंच मिलि नाहिं त भयउ अकाजु।।294।।
सुरन्ह सुमिरि सारदा सराही। देबि देव सरनागत पाही।।
फेरि भरत मति करि निज माया। पालु बिबुध कुल करि छल छाया।।
बिबुध बिनय सुनि देबि सयानी। बोली सुर स्वारथ जड़ जानी।।
मो सन कहहु भरत मति फेरू। लोचन सहस न सूझ सुमेरू।।
बिधि हरि हर माया बड़ि भारी। सोउ न भरत मति सकइ निहारी।।
सो मति मोहि कहत करु भोरी। चंदिनि कर कि चंडकर चोरी।।
भरत हृदयँ सिय राम निवासू। तहँ कि तिमिर जहँ तरनि प्रकासू।।
अस कहि सारद गइ बिधि लोका। बिबुध बिकल निसि मानहुँ कोका।।
दो0-सुर स्वारथी मलीन मन कीन्ह कुमंत्र कुठाटु।।
रचि प्रपंच माया प्रबल भय भ्रम अरति उचाटु।।295।।
करि कुचालि सोचत सुरराजू। भरत हाथ सबु काजु अकाजू।।
गए जनकु रघुनाथ समीपा। सनमाने सब रबिकुल दीपा।।
समय समाज धरम अबिरोधा। बोले तब रघुबंस पुरोधा।।
जनक भरत संबादु सुनाई। भरत कहाउति कही सुहाई।।
तात राम जस आयसु देहू। सो सबु करै मोर मत एहू।।
सुनि रघुनाथ जोरि जुग पानी। बोले सत्य सरल मृदु बानी।।
बिद्यमान आपुनि मिथिलेसू। मोर कहब सब भाँति भदेसू।।
राउर राय रजायसु होई। राउरि सपथ सही सिर सोई।।
दो0-राम सपथ सुनि मुनि जनकु सकुचे सभा समेत।
सकल बिलोकत भरत मुखु बनइ न उतरु देत।।296।।
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See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217