बालकाण्ड
बालकाण्ड पेज 60
चले राम लछिमन मुनि संगा। गए जहाँ जग पावनि गंगा।।
गाधिसूनु सब कथा सुनाई। जेहि प्रकार सुरसरि महि आई।।
तब प्रभु रिषिन्ह समेत नहाए। बिबिध दान महिदेवन्हि पाए।।
हरषि चले मुनि बृंद सहाया। बेगि बिदेह नगर निअराया।।
पुर रम्यता राम जब देखी। हरषे अनुज समेत बिसेषी।।
बापीं कूप सरित सर नाना। सलिल सुधासम मनि सोपाना।।
गुंजत मंजु मत्त रस भृंगा। कूजत कल बहुबरन बिहंगा।।
बरन बरन बिकसे बन जाता। त्रिबिध समीर सदा सुखदाता।।
दो0-सुमन बाटिका बाग बन बिपुल बिहंग निवास।
फूलत फलत सुपल्लवत सोहत पुर चहुँ पास।।212।।
बनइ न बरनत नगर निकाई। जहाँ जाइ मन तहँइँ लोभाई।।
चारु बजारु बिचित्र अँबारी। मनिमय बिधि जनु स्वकर सँवारी।।
धनिक बनिक बर धनद समाना। बैठ सकल बस्तु लै नाना।।
चौहट सुंदर गलीं सुहाई। संतत रहहिं सुगंध सिंचाई।।
मंगलमय मंदिर सब केरें। चित्रित जनु रतिनाथ चितेरें।।
पुर नर नारि सुभग सुचि संता। धरमसील ग्यानी गुनवंता।।
अति अनूप जहँ जनक निवासू। बिथकहिं बिबुध बिलोकि बिलासू।।
होत चकित चित कोट बिलोकी। सकल भुवन सोभा जनु रोकी।।
दो0-धवल धाम मनि पुरट पट सुघटित नाना भाँति।
सिय निवास सुंदर सदन सोभा किमि कहि जाति।।213।।
सुभग द्वार सब कुलिस कपाटा। भूप भीर नट मागध भाटा।।
बनी बिसाल बाजि गज साला। हय गय रथ संकुल सब काला।।
सूर सचिव सेनप बहुतेरे। नृपगृह सरिस सदन सब केरे।।
पुर बाहेर सर सारित समीपा। उतरे जहँ तहँ बिपुल महीपा।।
देखि अनूप एक अँवराई। सब सुपास सब भाँति सुहाई।।
कौसिक कहेउ मोर मनु माना। इहाँ रहिअ रघुबीर सुजाना।।
भलेहिं नाथ कहि कृपानिकेता। उतरे तहँ मुनिबृंद समेता।।
बिस्वामित्र महामुनि आए। समाचार मिथिलापति पाए।।
दो0-संग सचिव सुचि भूरि भट भूसुर बर गुर ग्याति।
चले मिलन मुनिनायकहि मुदित राउ एहि भाँति।।214।।
कीन्ह प्रनामु चरन धरि माथा। दीन्हि असीस मुदित मुनिनाथा।।
बिप्रबृंद सब सादर बंदे। जानि भाग्य बड़ राउ अनंदे।।
कुसल प्रस्न कहि बारहिं बारा। बिस्वामित्र नृपहि बैठारा।।
तेहि अवसर आए दोउ भाई। गए रहे देखन फुलवाई।।
स्याम गौर मृदु बयस किसोरा। लोचन सुखद बिस्व चित चोरा।।
उठे सकल जब रघुपति आए। बिस्वामित्र निकट बैठाए।।
भए सब सुखी देखि दोउ भ्राता। बारि बिलोचन पुलकित गाता।।
मूरति मधुर मनोहर देखी। भयउ बिदेहु बिदेहु बिसेषी।।
दो0-प्रेम मगन मनु जानि नृपु करि बिबेकु धरि धीर।
बोलेउ मुनि पद नाइ सिरु गदगद गिरा गभीर।।215।।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217