बालकाण्ड
बालकाण्ड पेज 90
नित नूतन मंगल पुर माहीं। निमिष सरिस दिन जामिनि जाहीं।।
बड़े भोर भूपतिमनि जागे। जाचक गुन गन गावन लागे।।
देखि कुअँर बर बधुन्ह समेता। किमि कहि जात मोदु मन जेता।।
प्रातक्रिया करि गे गुरु पाहीं। महाप्रमोदु प्रेमु मन माहीं।।
करि प्रनाम पूजा कर जोरी। बोले गिरा अमिअँ जनु बोरी।।
तुम्हरी कृपाँ सुनहु मुनिराजा। भयउँ आजु मैं पूरनकाजा।।
अब सब बिप्र बोलाइ गोसाईं। देहु धेनु सब भाँति बनाई।।
सुनि गुर करि महिपाल बड़ाई। पुनि पठए मुनि बृंद बोलाई।।
दो0-बामदेउ अरु देवरिषि बालमीकि जाबालि।
आए मुनिबर निकर तब कौसिकादि तपसालि।।330।।
दंड प्रनाम सबहि नृप कीन्हे। पूजि सप्रेम बरासन दीन्हे।।
चारि लच्छ बर धेनु मगाई। कामसुरभि सम सील सुहाई।।
सब बिधि सकल अलंकृत कीन्हीं। मुदित महिप महिदेवन्ह दीन्हीं।।
करत बिनय बहु बिधि नरनाहू। लहेउँ आजु जग जीवन लाहू।।
पाइ असीस महीसु अनंदा। लिए बोलि पुनि जाचक बृंदा।।
कनक बसन मनि हय गय स्यंदन। दिए बूझि रुचि रबिकुलनंदन।।
चले पढ़त गावत गुन गाथा। जय जय जय दिनकर कुल नाथा।।
एहि बिधि राम बिआह उछाहू। सकइ न बरनि सहस मुख जाहू।।
दो0-बार बार कौसिक चरन सीसु नाइ कह राउ।
यह सबु सुखु मुनिराज तव कृपा कटाच्छ पसाउ।।331।।
जनक सनेहु सीलु करतूती। नृपु सब भाँति सराह बिभूती।।
दिन उठि बिदा अवधपति मागा। राखहिं जनकु सहित अनुरागा।।
नित नूतन आदरु अधिकाई। दिन प्रति सहस भाँति पहुनाई।।
नित नव नगर अनंद उछाहू। दसरथ गवनु सोहाइ न काहू।।
बहुत दिवस बीते एहि भाँती। जनु सनेह रजु बँधे बराती।।
कौसिक सतानंद तब जाई। कहा बिदेह नृपहि समुझाई।।
अब दसरथ कहँ आयसु देहू। जद्यपि छाड़ि न सकहु सनेहू।।
भलेहिं नाथ कहि सचिव बोलाए। कहि जय जीव सीस तिन्ह नाए।।
दो0-अवधनाथु चाहत चलन भीतर करहु जनाउ।
भए प्रेमबस सचिव सुनि बिप्र सभासद राउ।।332।।
पुरबासी सुनि चलिहि बराता। बूझत बिकल परस्पर बाता।।
सत्य गवनु सुनि सब बिलखाने। मनहुँ साँझ सरसिज सकुचाने।।
जहँ जहँ आवत बसे बराती। तहँ तहँ सिद्ध चला बहु भाँती।।
बिबिध भाँति मेवा पकवाना। भोजन साजु न जाइ बखाना।।
भरि भरि बसहँ अपार कहारा। पठई जनक अनेक सुसारा।।
तुरग लाख रथ सहस पचीसा। सकल सँवारे नख अरु सीसा।।
मत्त सहस दस सिंधुर साजे। जिन्हहि देखि दिसिकुंजर लाजे।।
कनक बसन मनि भरि भरि जाना। महिषीं धेनु बस्तु बिधि नाना।।
दो0-दाइज अमित न सकिअ कहि दीन्ह बिदेहँ बहोरि।
जो अवलोकत लोकपति लोक संपदा थोरि।।333।।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217