बालकाण्ड
बालकाण्ड पेज 92
सुक सारिका जानकी ज्याए। कनक पिंजरन्हि राखि पढ़ाए।।
ब्याकुल कहहिं कहाँ बैदेही। सुनि धीरजु परिहरइ न केही।।
भए बिकल खग मृग एहि भाँति। मनुज दसा कैसें कहि जाती।।
बंधु समेत जनकु तब आए। प्रेम उमगि लोचन जल छाए।।
सीय बिलोकि धीरता भागी। रहे कहावत परम बिरागी।।
लीन्हि राँय उर लाइ जानकी। मिटी महामरजाद ग्यान की।।
समुझावत सब सचिव सयाने। कीन्ह बिचारु न अवसर जाने।।
बारहिं बार सुता उर लाई। सजि सुंदर पालकीं मगाई।।
दो0-प्रेमबिबस परिवारु सबु जानि सुलगन नरेस।
कुँअरि चढ़ाई पालकिन्ह सुमिरे सिद्धि गनेस।।338।।
बहुबिधि भूप सुता समुझाई। नारिधरमु कुलरीति सिखाई।।
दासीं दास दिए बहुतेरे। सुचि सेवक जे प्रिय सिय केरे।।
सीय चलत ब्याकुल पुरबासी। होहिं सगुन सुभ मंगल रासी।।
भूसुर सचिव समेत समाजा। संग चले पहुँचावन राजा।।
समय बिलोकि बाजने बाजे। रथ गज बाजि बरातिन्ह साजे।।
दसरथ बिप्र बोलि सब लीन्हे। दान मान परिपूरन कीन्हे।।
चरन सरोज धूरि धरि सीसा। मुदित महीपति पाइ असीसा।।
सुमिरि गजाननु कीन्ह पयाना। मंगलमूल सगुन भए नाना।।
दो0-सुर प्रसून बरषहि हरषि करहिं अपछरा गान।
चले अवधपति अवधपुर मुदित बजाइ निसान।।339।।
नृप करि बिनय महाजन फेरे। सादर सकल मागने टेरे।।
भूषन बसन बाजि गज दीन्हे। प्रेम पोषि ठाढ़े सब कीन्हे।।
बार बार बिरिदावलि भाषी। फिरे सकल रामहि उर राखी।।
बहुरि बहुरि कोसलपति कहहीं। जनकु प्रेमबस फिरै न चहहीं।।
पुनि कह भूपति बचन सुहाए। फिरिअ महीस दूरि बड़ि आए।।
राउ बहोरि उतरि भए ठाढ़े। प्रेम प्रबाह बिलोचन बाढ़े।।
तब बिदेह बोले कर जोरी। बचन सनेह सुधाँ जनु बोरी।।
करौ कवन बिधि बिनय बनाई। महाराज मोहि दीन्हि बड़ाई।।
दो0-कोसलपति समधी सजन सनमाने सब भाँति।
मिलनि परसपर बिनय अति प्रीति न हृदयँ समाति।।340।।
मुनि मंडलिहि जनक सिरु नावा। आसिरबादु सबहि सन पावा।।
सादर पुनि भेंटे जामाता। रूप सील गुन निधि सब भ्राता।।
जोरि पंकरुह पानि सुहाए। बोले बचन प्रेम जनु जाए।।
राम करौ केहि भाँति प्रसंसा। मुनि महेस मन मानस हंसा।।
करहिं जोग जोगी जेहि लागी। कोहु मोहु ममता मदु त्यागी।।
ब्यापकु ब्रह्मु अलखु अबिनासी। चिदानंदु निरगुन गुनरासी।।
मन समेत जेहि जान न बानी। तरकि न सकहिं सकल अनुमानी।।
महिमा निगमु नेति कहि कहई। जो तिहुँ काल एकरस रहई।।
दो0-नयन बिषय मो कहुँ भयउ सो समस्त सुख मूल।
सबइ लाभु जग जीव कहँ भएँ ईसु अनुकुल।।341।।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217