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मुंशी प्रेमचंद - प्रेमा
पाँचवां अध्याय - अँय ! यह गजरा क्या हो गया?
पेज- 29
प्रेमा—उनके ताने का क्या डर, वह तो हवा, से उलझा करती हैं। दोनों सखियां उठी और हाथ दिये कोठे से उतार कर फुलवारी में आयी। यह एक छोटी-सी बगिया थी जिसमें भॉँति-भॉंति के फूल खिल रहे थे। प्रेमा को फूलों से बहुत प्रम था। उसी ने अपनी दिलबलावा के लिए बगीचा था। एक माली इसी की देख-भाल के लिए नौकर था। बाग़ के बीचो-बीच एक गोल चबूतरा बना हुआ था। दोनों सखियॉँ इस चबूतेरे पर बैठ गयी। इनको देखते ही माली बहुत-सी कलियॉँ एक साफ तरह कपड़े में लपेट कर लाया। प्रेमा ने उनको पूर्णा को देना चाहा। मगर उसने बहुत उदास होकर कहा—बहिन, मुझे क्षमा करो,इनकी बू बास तुमको मुबारक हो। सोहाग के साथ मैंने फूल भी त्याग दिये। हाय जिस दिन वह कालरुपी नदी में नहाने गये हैं उस दिन ऐसे ही कलियों का हार बनाया था। (रोकर) वह हार धरा का धरा का गया। तब से मैंने फूलों को हाथ नहीं लगाया। यह कहते-कहते वह यकयक चौंक पड़ी और बोली—सखी अब मैं जाउँगी। आज इतवार का दिन है। बाबू साहब आते होंगे।
प्रेमा ने रोनी हँसकर कहा-‘नही’ सखी, अभी उनके आने में आध घण्टे की देर है। मुझे इस समय का ऐसा ठीक परिचय मिल गया है कि अगर कोठरी में बन्द कर दो तो भी शायद गलती न करुँ। सखी कहते लाज आती है। मैं घण्टों बैठकर झरोखे से उनकी राह देखा करती हूँ। चंचल चित्त को बहुत समझती हूँ। पर मानता ही नहीं।
पूर्णा ने उसको ढारस दिया और अपनी सखी से गले मिल, शर्माती हुई घूंघट से चेहरे को छिपाये अपने घर की तरफ़ चली और प्रेमी किसी के दर्शन की अभिलाषा कर महताबी पर जाकर टहलने लगी।
पूर्णा के मकान पर पहुँचे ठीक आधी घड़ी हुई थी कि बाबू अमृतराय बाइसिकिल पर फर-फर करते आ पहुँचे। आज उन्होंने अंग्रेजी बाने की जगह बंगाली बाना धारण किया था, जो उन पर खूब सजता था। उनको देखकर कोई यह नहीं कह सकता था कि यह राजकुमार नहीं हैं बाजारो में जब निकलाते तो सब की ऑंखे उन्हीं की तरफ उठती थीं। रीति के विरुद्ध आज उनकी दाहिनी कलाई पर एक बहुत ही सुगन्धित मनोहर बेल का हार लिपटा हुआ था, जिससे सुगन्ध उड़ रही थी और इस सुगन्ध से लेवेण्डर की खुशबू मिलकर मानों सोने में सोहागा हो गया था। संदली रेशमी के बेलदार कुरते पर धानी रंग की रेशमी चादर हवा के मन्द-मन्द झोंकों से लहरा-लहरा कर एक अनोखी छवि दिखाती थी। उनकी आहट पाते ही बिल्लो घर में से निकल आई और उनको ले जाकर कमरे में बैठा दिया।
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