होरी ने अविश्वास करके कहा - आँखों में धूल मत झोंको चौधरी, तुमने कुछ कहा नहीं, तो बहू झूठ-मूठ रोती है? रुपए की गरमी है, तो वह निकाल दी जायगी, अलग हैं तो क्या हुआ, है तो एक खून। कोई तिरछी आँख से देखे तो आँख निकाल लें। पुन्नी चंडी बनी हुई थी। गला गाड़ कर बोली - तूने मुझे धक्का दे कर गिरा नहीं दिया? खा जा अपने बेटे की कसम। हीरा को खबर मिली कि चौधरी और पुनिया में लड़ाई हो रही है। चौधरी ने पुनिया को धक्का दिया। पुनिया ने तल्लियों से पीटा। उसने पुर वहीं छोड़ा और औंगी लिए घटनास्थल की ओर चला। गाँव में अपने क्रोध के लिए प्रसिद्ध था। छोटा डील, गठा हुआ शरीर, आँखें कौड़ी की तरह निकल आई थीं और गर्दन की नसें तन गई थीं, मगर उसे चौधरी पर क्रोध न था, क्रोध था पुनिया पर। वह क्यों चौधरी से लड़ी? क्यों उसकी इज्जत मिट्टी में मिला दी। बँसोर से लड़ने-झगड़ने का उसे क्या प्रयोजन था? उसे जा कर हीरा से समाचार कह देना चाहिए था। हीरा जैसा उचित समझता, करता। वह उससे लड़ने क्यों गई? उसका बस होता, तो वह पुनिया को पर्दे में रखता। पुनिया किसी बड़े से मुँह खोल कर बातें करे, यह उसे असह्य था। वह खुद जितना उद्दंड था, पुनिया को उतना ही शांत रखना चाहता था। जब भैया ने पंद्रह रुपए में सौदा कर लिया, तो यह बीच में कूदने वाली कौन। आते ही उसने पुन्नी का हाथ पकड़ लिया और घसीटता हुआ अलग ले जाकर लगा लातें जमाने-हरामजादी, तू हमारी नाक कटाने पर लगी हुई है! तू छोटे-छोटे आदमियों से लड़ती फिरती है, किसकी पगड़ी नीची होती है बता! (एक लात और जमा कर) हम तो वहाँ कलेऊ की बाट देख रहे हैं, तू यहाँ लड़ाई ठाने बैठी है। इतनी बेसर्मी! आँख का पानी ऐसा गिर गया। खोद कर गाड़ दूँगा। पुन्नी हाय-हाय करती जाती थी और कोसती जाती थी। 'तेरी मिट्टी उठे, तुझे हैजा हो जाय, तुझे मरी आवें, देवी मैया तुझे लील जायँ, तुझे इन्फ्लूएँजा हो जाए। भगवान करे, तू कोढ़ी हो जाए। हाथ-पाँव कट-कट गिरें।' और गालियाँ तो हीरा खड़ा-खड़ा सुनता रहा, लेकिन यह पिछली गाली उसे लग गई। हैजा, मरी आदि में कोई विशेष कष्ट न था। इधर बीमार पड़े, उधर विदा हो गए, लेकिन कोढ़! यह घिनौनी मौत, और उससे भी घिनौना जीवन। वह तिलमिला उठा, दाँत पीसता हुआ पुनिया पर झपटा और झोटे पकड़ कर फिर उसका सिर जमीन पर रगड़ता हुआ बोला - हाथ-पाँव कट कर गिर जाएँगे तो मैं तुझे ले कर चाटूँगा। तू ही मेरे बाल-बच्चों को पालेगी? ऐं! तू ही इतनी बड़ी गिरस्ती चलाएगी? तू तो दूसरा भतार करके किनारे खड़ी हो जायगी।
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