राग धनाश्री
गैयनि घेरि सखा सब ल्याए |
देख्यौ कान्ह जात बृंदावन, यातैं मन अति हरष बढ़ाए ||
आपुस में सब करत कुलाहल, धौरी, धूमरि धेनु बुलाए |
सुरभी हाँकि देत सब जहँ-तहँ, टेरि-टेरि हेरी सुर गाए ||
पहुँचे आइ बिपिन घन बृंदा, देखत द्रुम दुख सबनि गँवाए |
सूर स्याम गए अघा मारि जब, ता दिन तैं इहिं बन अब आए ||
सब सखा गायोंको एकत्र करके हाँक लाये; उन्हामोने देखा कि कन्हाई वृन्दावन जा
रहा है, इससे उनके मनमें अत्यन्त हर्ष हुआ | धौरी, धूमरी गायोंको पुकार-पुकारकर सब
परस्पर कोलाहल कर रहे हैं | सब गायोंको इधर-उधर हाँक देते हैं और उच्च स्वरसे
`हेरी' स्वरमें (पदमें `हेरी' शब्द लगाकर) गा रहे हैं | सब-के सब सघन वृन्दावनमें आ
पहुँचे, वहाँके वृक्षोंको देककर सभीके कष्ट (सारी थकावट) दूर हो गये | सूरदासजी
कहते हैं--श्यामसुन्दर जिस दिन अघासुरको मारकर गये थे, उस दिनके बाद आज इस
वनमें आये हैं|
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217