राग गौरी
बल मोहन बन में दोउ आए |
जननि जसोदा मातु रोहिनी, हरषित कंठ लगाए ||
काहैं आजु अबार लगाई, कमल-बदन कुम्हिलाए |
भूखे गए आजु दोउ भैया, करन कलेउ न पाए ||
देखहु जाइ कहा जेवन कियौ, रोहिनि तुरत पठाई |
मैं अन्हवाए देति दुहुनि कौं, तुम अति करौ चँड़ाई ||
लकुट लियौ, मुरली कर लीन्ही, हलधर दियौ बिषान |
नीलांबर-पीतांबर लीन्हे, सैंति धरति करि प्रान ||
मुकुट उतारि धर्यौ लै मंदिर, पोंछति है अँग-धातु |
अरु बनमाल उतारति गर तैं, सूर स्याम की मातु ||
भावार्थ :-- बलराम और स्याम--दोनों भाई वनसे आ गये | हर्षित होकर मैया यशोदा
तथा माता रोहिणीने उन्हें गले लगाया | (वे बोलीं-) `आज देर क्यों कर दी? तुम्हारे
कमलमुख तो सूख रहे हैं | आज दोनों भाई खाली पेट गये थे, कलेऊ भी नहीं कर पाये
थे | तुम जाकर देखो तो क्या भोजन बना है | (यह कहकर यशोदाजीने) रोहिणीजी को
तुरंत भेज दिया-मैं दोनोंको स्नान कराये देती हूँ, तुम अत्यन्त शीघ्रता करो|' (माता
ने) छड़ी ली, हाथमें वंशी ले ली, बलरामजी ने सींग दे दिया, नीलाम्बर और पीताम्बर
लेकर अपने प्राणोंके समान सँभालकर मैया उनको रखती है | उन्होंने मुकुट उतारकर
घर के भीतर ले जाकर रख दिया, सूरदासजी कहते हैं कि श्यामसुन्दरकी माता उनके गलेसे
वनमाला भी उतार रही है और अब शरीरमे लगे (गेरू, खड़िया आदि) धातुएँ पोंछ रही हैं |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217