परिशिष्ट (ख) अंतर्कथाएँ
राजसूय
चक्रवर्ती सम्राट द्वारा किया जाने वाला यज्ञ, जिसमें अन्य राजागण सेवक बनते हैं |
यहाँ युधिष्ठिर द्वारा किया राजसूय यज्ञ जिसमें श्रीकृष्ण ने अभ्यागत जनों के पैर
धोने का सेवक-कार्य स्वेच्छा से ग्रहण किया था | इसी यज्ञ में सबसे पहले श्रीकृष्ण
के पूजे जाने पर कुपित होकर शिशुपाल ने श्रीकृष्ण को गालियाँ दीं तथा श्री कृष्ण ने
सुदर्शनचक्र से उसका वध किया | इसी यज्ञ के अवसर पर अभिमानी और ईर्ष्यालु दुर्योधन
ने जब भाइयों सहित प्रवेश किया तो सूखे में जल का तथा जल में सूखे का भ्रम होने से
वह हास्यास्पद आचरण करने लगा | जिससे पांडव, उनकी स्त्रियाँ आदि सभी हँसने लगे तथा
दुर्योधन अत्यंत लज्जित हुआ |
राहु
सिंहिका का पुत्र, एक असुर | समुद्र-मंथन के बाद देवताओं में सम्मिलित होकर अमृत-
पान करने के अपराध में विष्णु ने इसका सर काट डाला था | परन्तु अमृत के प्रभाव से
वह राहु (सर) तथा केतु (धड़) के रूप में अमर रहा | सूर्य और चन्द्रमा ने ही पहचानकर
उसकी शिकायत कर दी थी | अतः वह उनसे शत्रुता मानकर उन्हें `ग्रहण' के रूप में
ग्रसता रहता है |
रिषि-साप
ऋषि-शाप- सौभरि ऋषि का गरुड़ को शाप | एक बार ब्रज में यमुना के एक गंभीर दह में-जो
बाद में कालियदह नाम से प्रसिद्ध हुआ-सौभरि ऋषि के रोकने पर भी गरुड़ ने एक भारी
मच्छ खा डाला | उसके वियोग में तड़पती मछलियों के दुःख से द्रवित होकर ऋषि ने शाप
दिया कि यदि गरुड़ यहाँ किसी मछली को खाएगा तो तुरन्त उसकी मृत्यु हो जायगी | कालिय
नाग इस रहस्य को जानता था | अतः वह गरुड़ से बचने के लिए वहीं जाकर रहता था |
लाखा-गृह
लाक्षागृह-पाँडवों को जलाने के लिए दुर्योधन ने लाख का एक घर बनवाया था परन्तु
भगवत्कृपा से पांडव उससे जीवित निकल आए थे |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217