पेज 4
अधंकार में वह चेहरा और भी निराशा हो गया।
"मैं इतने दिन रुका रहा हूं। अब मैं और अधिक कैसे रुक सकता हूं? मुझे रास्ता बता दो। मैं कोशिश करुंगा।"
"बोरिस , रास्ता कोई भी नहीं है। वे तुम्हें सरहद पर गिरफ्तार कर लेगें तुम यहीं रहो। हम तुम्हारे लिए कुछ काम खोज देंगे।"
"यहां लोग मेरी बात नहीं समझते, मैं उनकी बात नहीं समझ सकता।" उसने टूटे शब्दों में कहा, " मैं यहां नहीं रह सकता। मेरी मदद कीजिये।"
"मैं कुछ नहीं कर सकता, बोरिस।"
"ईसा के नाम पर मेरी मदद कीजिये, नहीं तो मेरे लिए कोई उम्मीद नहीं है।"
"मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता, अब आदमी एक-दूसर की मदद नहीं कर सकता।"
वे दोनो एक-दूसरे की ओर ताकते खड़े रहे। बोरिस अपनी उंगलियों के बीच टोपी को मरोड़ता रहा।
"वे मुझे घर से क्यों ले गये थे? उन्होंने कहा था कि मुझे रुस के लिए और का उन्होंने क्या किया है?"
"उन्होंने उसे गद्दी से उतार दिया है।"
"गद्दी से उतार दिया है?" उसने रुखाई से इन शब्दों को दोहराया, "लेकिन मैं अब क्या करुं? मुझे जरुर घर जाना है। मेरे बच्चे मेरे लिए बिलख रहे होंगे। मैं यहां नहीं रह सकता कृपा करके मेरी मदद कीजिये।"
"मैं कुछ नहीं कर सकता, बोरिस।"
"कोई भी मेरी मदद नहीं कर सकता।
"नहीं।"
रुसी ने और भी दुखी होकर अपना सिर झुका लिया। अचानक उसने मंद स्वर में कहा:
"धन्यवाद !" इतना कहकर वह मुड़ा और चल दिया।
धीरे-धीरे वह पहाड़ी के नीचे उतरा। मैनेजर उसे जाते देखता रहा। उसे यह देखकर अचरज हुआ कि वह सराय में क्यों नहीं गया, झील को जाने वाले रास्ते पर आगे बढ़ गया। एक आह भरकर वह बेचारा रहमदिल दुभाषिया मैजेजर होटल में अपने काम पर चला गया।
संयोग से उसी मछुवे को, जिसने उस जिन्दा साइबेरिया के निवासी को बचाया था, दूसरों के पहनाये कोट और पतलून की तह करके टोपी के साथ किनारे पर रख दिये थे और पानी में कूद पड़ा था, ठीक वैसे ही निर्वस्त्र जैसे कि वह पानी में से निकला था।
चूंकि उस परदेशी का नाम कोई नहीं जानता था। इसलिए उसका स्मारक तो बन नहीं सकता था। उसकी समाधि पर बस बिला नाम का लकड़ी का एक सलीब लगायाजा सकता था।
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217