गुप्त साम्राज्य का पतन
गुप्त साम्राज्य का 550 ई. में पतन हो गया । कुमारगुप्त तृतीय गुप्त वंश का अन्तिम शासक था इसके बाद गुप्त साम्राज्य का पूरी तरह से पतन शुरू हो गया। आगे इस वंस में निम्नलिखित राजा हुए।
दामोदरगुप्त
कुमरगुप्त के निधन के बाद उसका पुत्र दामोदरगुप्त राजा बना । ईशान वर्मा का पुत्र सर्ववर्मा उसका प्रमुख प्रतिद्वन्दी मौखरि शासक था । सर्ववर्मा ने अपने पिता की पराजय का बदला लेने हेतु युद्ध किया । इस युद्ध में दामोदरगुप्त की हार हुई ।
महासेनगुप्त
दामोदरगुप्त के बाद उसका पुत्र महासेनगुप्त शासक बना था । उसने मौखरि नरेश अवन्ति वर्मा की अधीनता स्वीकार कर ली । महासेनगुप्त ने असम नरेश सुस्थित वर्मन को ब्राह्मण नदी के तट पर पराजित किया । अफसढ़ लेख के अनुसार महासेनगुप्त बहुत पराक्रमी था ।
देवगुप्त
महासेनगुप्त के बाद उसका पुत्र देवगुप्त मलवा का शासक बना । उसके दो सौतेले भाई कुमारगुप्त और माधवगुप्त थे । देवगुप्त ने गौड़ शासक शशांक के सहयोग से कन्नौथज के मौखरि राज्य पर आक्रमण किया और गृह वर्मा की हत्या कर दी । प्रभाकर वर्धन के बड़े पुत्र राज्यवर्धन ने शीघ्र ही देवगुप्त पर आक्रमण करके उसे मार डाला ।
माधवगुप्त
हर्षवर्धन के समय में माधवगुप्त मगध के सामन्त के रूप में शासन करता था । वह हर्ष का घनिष्ठ मित्र और विश्वागसपात्र था । हर्ष जब शशांक को दण्डित करने हेतु गया तो माधवगुप्त साथ गया था । उसने 650 ई. तक शासन किया । हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उत्तर भारत में अराजकता फैली तो माधवगुप्त ने भी अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित किया ।
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See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217