सूरदास
परिशिष्ट
पदों में आये मुख्य कथा-प्रसंग
परशुराम-अवतार
महर्षि जमदग्निके पुत्रके रूपमें भगवान् परशुराम रूपसे प्रकट हुए | उस समय क्षत्रिय
नरेश प्रजाको पीड़ा देनेवाले, धर्मविरोधी और पापी हो रहे थे | उनका संहार करनेके
लिए ही यह अवतार हुआ था | राजा कृतवीर्यके पुत्र अर्जुनके सहस्त्र भुजाएँ थीं |
जमदग्निने कामधेनु गौके प्रभावसे उसका भली प्रकार स्वागत-सत्कार किया |
किंतु कामधेनुकी महिमा देखकर वह दुष्ट राजा ऋषिके न देनेपर बलपूर्वक उनसे वह
गाय छीन ले गया |
उस समय परशुरामजी आश्रममें नहीं थे | लौटनेपर उन्होंने सहस्त्रार्जुनकी दुष्टता
सुनी तो क्रोधमें भरकर दौड़ पड़े | युद्धमें उन्होंने सहस्त्रार्जुनको मार डाला और
अपनी गौ लौटा लाये | किंतु सहस्त्रार्जुनके पुत्रोंने अपने पिता की मृत्यु का बदला
लेने का निश्चय कर लिया | एक दिन परशुरामजी आश्रमसे बाहर गये हुए थे | उस
समय आकर ध्यान करते हुए जमदग्नि ऋषिका मस्तक वे काट ले गये | लौटने पर
परशुरामजी को बड़ा क्रोध आया | उन्होंने सहस्त्रार्जुनके पुत्रोंको तो मारा ही,
पृथ्वीके सभी क्षत्रिय नरेशोंका इक्कीस बार संहार किया | अपने पिताका मस्तक लाकर
उन्हें अपने योगबलसे जीवित करके सप्तर्षियोंमें प्रतिष्ठित किया | परशुरामजी अमर
है | कलियुगके अन्तमें जब भगवान् कल्किरूप से अवतार लेंगे, तब परशुरामजी कल्कि
भगवान् को अस्त्र-शस्त्रकी शिक्षा देंगे | अगले मन्वन्तरमें वे भी सप्तर्षियोंमें
से एक होंगे |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217