परिशिष्ट (ख) अंतर्कथाएँ
धेनुक
तालवन में रहनेवाला एक गर्दभरूप असुर, जिसे बलभद्र ने पिछली टाँगे पकड़, पटककर मार
डाला था | उसके साथी अन्य गर्दभ रूपी राक्षसों ने जब आक्रमण किया तो उन्हें भी
कृष्ण-बलराम ने पटक पटककर मार डाला |
ध्रुव
राजा उत्तानपाद और सुनीति के विष्णु-भक्त पुत्र, जो अत्यंत बाल्यावस्था में विमाता-
पुत्र उत्तम के कारण पिता द्वारा अपमानित होने पर विरक्त होकर निर्जन वन में घोर
तपस्या करने चले गए थे | इंद्रादि देवों के प्रयत्न करने पर भी जब इनकी तपस्या
खंडित नहीं हुई, तब भगवान ने इन्हें ध्रुवलोक का वरदान दिया जो अटल है और समस्त
लोकों, ग्रहों और नक्षत्रों का आधार है |
नामदेव
तेरहवीं-चौदहवीं शती में हुए दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध संत जिन्होंने घर में आग
लग जाने पर उसे बुझाया नहीं, बल्कि बची-खुची वस्तुएँ भी उस अग्नि देव को अर्पित
करदीं | कहते हैं भगवान ने प्रसन्न होकर रातोंरात उनका छप्पर अपने हाथों छा दिया
था |
नारद
ब्रह्मा के मानस पुत्र , वीणा लेकर हरि कीर्तन करते हुए निरंतर भ्रमण करने वाले
श्रेष्ठ वैष्णव भक्त, जो पूर्व जन्म में किसी दासी के पुत्र थे और वेदान्ती मुनियों
की सेवा करने तथा उनका जूठा भोजन करने से जिनके हृदय में पाँच वर्ष की अवस्था
में ही वैराग्य पैदा हो गया था | सौभाग्य से इनकी माता भी मर गई, जिससे ये निर्जन
वन में जाकर भगवान् का ध्यान करने में सफल हुए | भगवान ने इन्हें हृदय में तो दर्शन
दिए, परंतु इस जन्म में प्रत्यक्ष दर्शन होना असंभव बताया | फिर भी भक्ति का परम वर
दान पाकर ये कालांतर में परमधाम के अधिकारी हुए | नारद भक्तों में ही नहीं, विमुखों
के बीच भी बिचरते है | कंस को उसके अंतिम परिणाम तक पहुँचने के लिए नारद ही
बराबर उसको सलाह देते रहे |
Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)
See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217