Home Page

States of India

Hindi Literature

Religion in India

Articles

Art and Culture

 

लियो टाल्स्टाय कितनी जमीन ?

लियो टाल्स्टाय कितनी जमीन ?

भावानुवाद - जैनेन्द्र कुमार

पेज 1
पेज 2
पेज 3
पेज 4
पेज 5
पेज 6
पेज 7

पेज 2

उन दोनों ने मिलकर विचार किया कि किस तरकीब से जमीन खरीदी जाय। सौ कलदार तो उनके पास बचे हुए रखे थे। एक उन्होंने उमर पर आया अपना बछड़ा बेच डाला। कुछ माल बंधक रक्खा। अपने बड़े बेटे को मजदूरी पर चढ़ाकर उसकी नौकरी के मद्दे कुछ रुपया पेशगी ले लिया। बाकी बचा अपनी स्त्री के भाई से उधार ले लिया। इस तरह कोई आधी रकम उन्होंने इकट्ठी कर ली।

       इतना करे दीना ने एक चालीस एकड़ जमीन का टुकड़ा पसंद किया, जिसमें कुछ हिस्से में दरख्त भी खड़े थे। मालकिन के पास उसका सौदा करने पहुंचा। सौदा पट गया ओर वहीं-के-वहीं नकद उसने साई दे दी। फिर कस्बे में जाकर लिखा-पढ़ी पक्की कर ली। अब दीना के पास अपनी निजी जमीन थी। उसने बीज खरीदा और इसी अपनी जमीन पर बोया, इस तरह वह अब खुद जमींदार हो गया।

     इस तरह दीना काफी खुशहाल था। उसके संन्तोष में कोई कमी न रहती। अगर बस पड़ोसियों की तरफ से उसे पूरा चैन मिल सकता। कभी-कभी उसे खेतों पर पड़ोसियों के मवेशी आ चरते। दीना ने बहुत विनय के साथ समझाया, लेकिन कुछ फर्क नहीं हुआ। उसके बाद और-तो-और, घोसी छोकरे गांव की गायों को दिन-दहाड़े उसकी जमीन में छोड़ देने लगे। रात को बैल खेतों का नुकसान करते। दीना ने उनको बार-बार निकलवाया और बार-बार उसने उनके मालिकों को माफ किया। एक अर्से तक वह धीरज रक्खे रहा और किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। लेकिन कब तक? आखिर उसका धीरज टूट गया और उसने अदालत में दरख्वास्त दी। मन में जानता तो था कि मुसीबत की वजह असली यह है कि और लोगों के पास जमीन की कमी है, जान-बूझकर दीना की सताने की मंशाा किसी की नहीं है। लेकिन उसने सोचा कि इस तरह मैं नरमी दिखाता जाऊंगा, तो वे लोग शह पाते जायंगे और मेरे पास जितना है सब बरबाद कर देंगे। नहीं उनको एक सबक सिखाना चाहिए।

       सो उसने ठान ली। एक सबक दिया, दूसरा। नतीजा यह कि दो-तीन किसानों पर अदालत से जुर्माना हो गया। इस पर तो पास-पड़ोस के लोग दीना से कीना रखने लगे। अब कभी-कभी जान-बूझकर भी तंग करने के लिए अपने मवेशी उसके खेतों में छोड़ देते। एक आदमी गया और उसे जरुरत अगर घर में ईंधन की थी, तो उसने रात में जाकर सात पूरे शीशम के दरख्त काट गिराये। दीना ने सवेरे घूमते हुए देखा कि पेड़ कटे हुए पड़े है। वे धरती से सटे हैं और उनकी जगह खड़े ठूंठ मानो दीना को चिढ़ा रहे हैं। देखकर उसको तैश आ गया।

       उसने सोचा कि अगर दुष्ट ने एक यहां का तो दूसरा दूर का पेड़ काटा होता तो भी गनीमत थी। लेकिन कम्बख्त ने आसपास के सब पेड़ काटकर बगिया को वीरान करे दिया। पता लगे तो खबर लिये बिना न छोडूं। उसने जानने के लिए सिर खुजलाया कि यह करतूत किसकी हो सकती है। आखिर तय किया कि हो-न-हो, यह धुन्नू होगा। और कोई ऐसा नहीं कर सकता। यह सोच धुन्नू की तरफ गया गया कि शायद कुछ सबूत मिल जाय, लेकिन वहां कुछ चोरी का सबूत मिला नहीं और आपस में कहा-सुनी और तेजा-तेजी के सिवा कुछ नतीजा न निकला। तो भी उसे मने में पक्का विश्वास हो गया कि धुन्नू ने यह किया है और जाकर रपट लिखा दी। धुन्नू की पेशी हुई, मामला चला। एक अदालत से दूसरी अदालत हुई। आखिर में धुन्नू बरी हो गया, क्योंकि कोई सबूत और गवाह ही नहीं थे। दीना इस बात पर और भी झल्ला उठा और अपना गुस्सा मजिस्ट्रेट पर उतारने लगा।

       इस तरह दीना का अपने पड़ोसियों और अफसरों से मनमुटाव होने लगा, यहांतक कि उसे घर में भी आग लगाने की बातें सुनी जाने लगीं। हालांकि दीना के पास अब जमीन ज्यादा थी और जमींदारों में उसी गिनती थी, पर गांव में और पेचों में पहला-सा उसका मान न रह गया था। इसी बीच अफवाह उड़ी कि कुछ लोग गांव छोड़-छोड़कर कहीं जो रहे हैं। दीना ने सोचा कि मुझे तो अपनी जमीन छोड़ने की जरुरत है ही नहीं। लेकिन और कुछ लोग अगर गांव छोड़ेंगे तो चलो, गांव में भीड़ ही कम होगी। मैं उनकी जमीन खुद ले लूंगा। तब ज्यादा ठीक रहेगा। अब तो जमीन की कुछ तंगी मालूम होती है।

     एक दिन दीना घर के ओसारे में बैठा हुआ था कि एक परदेसी-सा किसान उधर से गुजरता हुआ उसके घर उतरा। वह वहां रात-भर ठहरा और खाना भी वहीं खाया। दीना ने उससे बातचीत की कि भाई, कहां से आ रहे हो? उसने कहा दरिया सतलज के पास से आ रहा हूं। वहां बहुत काम है। फिर एक में से दूसरी बात निकली और आदमी ने बताया कि उस तरफ नई बस्ती बस रही है। उसे अपने गांव के कई और लोग वहां पहुंचे हैं। वे सोसायटी में शामिल हो गये हैं और हरेक को बीस एकड़ जमीन मुफ्त मिली है। जमीन ऐसी उम्दा है  कि उस पर गेहूं की पहली फसल जो हुई तो आदमी से ऊंची उसी बालें गईं और इतनी घनी कि दरांत के एक काट में एक पूला बन जाय। एक आदमी के पास खाने को दाने न थे। खाली हाथ वहां पहुंचा। अब उसके पास दो गायें, छ: बैल और भरा खलिहान अलग।

                दीना के मन में भी अभिलाषा पैदा हुई। उसने सोचा कि मैं यहां तंग संकरी-सी जगह में पड़ा क्या कर रहा हूं, जबकि दूसरी जगह मौका खुला पड़ा है। यहां की जमीन, घर-बार बेच-बाचकर नकदी बना वहीं क्यों न पहुंचूं और नये सिरे से शुरु करके देखूं? यहां लोगों की गिचपित हुई जाती है। उससे दिक्कत होती है और तरक्की रुकती है, लेकिन पहले खुद जाकर मालूम कर आना चाहिए कि क्या बात है, सो बरसात के बाद तैयारी करे वह चल दिया। पहले रेल में गया। फिर सैकड़ों मील बैलगाड़ी पर और पैदल सफर करता हुआ सतलज के पारवाली जगह पर पहुंचा। वहां देखा कि जो उस आदमी ने कहा था, सब सच है। सबके पास खूब जमीन है। हरेक को सरकार की तरफ से बीस-बीस एकड़ जमीन मिली हुई है, या जो चाहे खरीद सकता है। और खूबी यह कि कौड़ियों के मोल जितनी चाहे, जमीन और भी ले सकता है।

पिछ्ला पेज
अगला पेज

National Record 2012

Most comprehensive state website
Bihar-in-limca-book-of-records

Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217