जन्म: 1689 ईसवी (लगभग)
निधन: 1739 ईसवी (लगभग)
जन्म-स्थान
जन्म-तिथि की ही भाँति घनानन्द का जन्म-स्थान भी विवाद का विषय बना हुआ है । कुछ आलोचक इन्हें हिसार-निवासी मानते हैं तो अन्य इन्हें बुलंदशहर का मानते हैं । अधिकांश विद्वान् घनानन्द का जन्म दिल्ली और उसके आसपास का होना मानते हैं । जगन्नाथदास रत्नाकर ने इन्हें बुलंदशहर का निवासी माना है और श्री बहुगुणा के विचार में ये कोट-हीसिर के रहने वाले थे । घनानन्द के काव्य में कहीं भी इसका संकेत नहीं मिलता कि ये कहाँ के रहने वाले थे ? ये भटनागर कायस्थ थे और दिल्ली छोड़कर वृंदावन चले गए थे - इस बात को सभी आलोचकों ने स्वीकार किया है । इन्होंने अपने काव्य में ब्रज और वृंदावन का वर्णन जिस सजीवता के साथ किया है, उसे पढ़कर यह अवश्य लगता है कि इनका अधिकांश जीवन यहीं बीता, अन्यथा उनके काव्य में (ब्रज-संस्कृति) इतना सुंदर ब्रज का चित्रण न मिलता । हाँ, इतना अवश्य कहा जा सकता है कि सुजान की बेवफाई के कारण ही ये वृंदावन गए होंगे ।
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See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217