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हिन्दी के कवि

घनानन्द

जन्म: 1689 ईसवी (लगभग)

निधन: 1739 ईसवी (लगभग)

 

घनानन्द का परिचय

घनानन्द का जीवन-वृत्त

समय और नाम के विषय में विवाद

जन्म-तिथि

जन्म-स्थान

घनानन्द और सुजान

मुत्यु

कवित्त, सवैया

 

मुत्यु

घनानन्द की मृत्यु-तिथि भी उनकी जन्म-तिथि के समान ही विवादास्पद है । इस संबंध में पं.विश्वनाथप्रसाद मिश्र के शोधपूर्ण तर्क एवं प्रमाणपूर्ण निष्कर्ष मान्य हैं । अन्य आलोचकों ने माना है कि घनानन्द के समय हुई थी, परंतु विश्वनाथप्रसाद मिश्र के मतानुसार उनकी मृत्यु नादिरशाह के आक्रमण में न होकर अहमदशाह अब्दाली के मथुरा पर किए गए द्वितीय आक्रमण में सं. 1817 (सन् 1671) में हुई थी । इतिहास साक्षी है, सं.1796 में नादिरशाह ने मथुरा पर नहीं, दिल्ली पर आक्रमण किया था, जबकि अहमदशाह अब्दाली ने मथुरा पर पहला आक्रमण सं.1813 में और दूसरा आक्रमण सं.1817 में किया था । इन दोनों आक्रमणों का वर्णन हमें चाचा हितवृंदावनदास कृत ‘हरिकला बेलि’ में मिलता है-

ठारह सै सत्रहौं वर्ष गत जानियै ।

साढ़ वदी हरिबासर बेल बखानियै ।।

 

        इन आक्रमणों में अनेक महान् हस्तियों व संतों का वध कर डाला गया था । सं. 1817 मे चाचा हितवृंदावनदास जी ने घनानन्द का शव अपनी आँखों से देखा और उनके शव पर दुखी होते हुए इस प्रकार उसका वर्णन किया-

विरह सौं तायौ तन निबाह्मौ गत साँचौ पर,

धन्य आनन्दघन मुख गाई सोई करी है ।

एह्मे ब्रजराज कुँवर धन्य-धन्य तुमहूँ की

कहा नीकी प्रभु यह जंग में बिस्तरी है ।

गाढ़ौ ब्रज उपासी जिन देह अंत पूरी पारी

रज की कअभीलाष सौं तहाँ ही देह धरी है ।।

वृंदावन हित रुप तुमहूँ हरि उड़ाई धूरि,

ऐ पै साँची निष्ठा जन ही की लखि परी है ।

 

धनानन्द  की अभिलाषा थी कि वे ब्रज-रज में लोटते हुए ही अपने प्राण त्यागें और उनकी यह इच्छा भगवान कृष्ण ने पूरी कर दी । इस बात की पुष्टि ‘राधा-कृष्ण ग्रंथावली’ में एक स्थान पर मिलती है- ‘सुना है, मथुरा में कत्लेआम करने वालों से उन्होंने कहा कि मुझे तलवार के घाव थोड़ी-थोड़ी देर तक दो । इनको ज्यों-ज्यों तलवार के घाव लगते गए, त्यों-त्यों ये ब्रज-रज में लोटते रहे और ऐसे देह त्याग दी ।

National Record 2012

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Bihar became the first state in India to have separate web page for every city and village in the state on its website www.brandbihar.com (Now www.brandbharat.com)

See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217