जन्म: 1689 ईसवी (लगभग)
निधन: 1739 ईसवी (लगभग)
घनानन्द का जीवन-वृत्त
हिंदी साहित्य के प्रथम तीन कालों अर्थात् आदिकाल, भक्तिकाल और रीतिकाल के प्रमुख कवियों के जीवन के विषय में शायद ही कुछ ऐसा हो, जिसे दृढ़ता से कहा जा सके। लगभग इन कालों के सभी कवियों ने अपने विषय में बहुत कम लिखा है। इसे हिंदी साहित्य का दुर्भाग्य कहा जा सकता है कि इन कवियों का जीवन अस्पष्ट और अंधकारमय है। आदिकाल के ‘चंद कवि’ को लें या ‘नरपति नाल्ह’ को, किसी का भी पूरा जीवन-परिचय नहीं मिलता। इस काल के पश्चात् यदि भक्तिकाल की ओर दृष्टि डाली जाए तो वहाँ भी यही निराशा होती है। कबीर हो या सूर अथवा तुलसी-सभी कवियों ने अपने विषय में इतना कम लिखा है कि वह उनके जीवन पर पूर्ण प्रकाश नहीं डालता । इसी प्रकार रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्यधारा के कवि घनानन्द भी अपवाद नहीं। उनका प्रेमवत्सल हृदय अपने प्रेमी की महिमा का वर्णन करने में ही मग्न रहता था, अपने लिए कुछ लिखने का उनके पास अवकाश ही कहाँ रहा होगा ?
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See the record in Limca Book of Records 2012 on Page No. 217